आज के समय में हम सभी इंटरनेट पर पूरी तरह से निर्भर हो चुके हैं और आज के दौर में 5G इंटरनेट का काफी अधिक इस्तेमाल हो रहा है। वहीं हम सभी अच्छे से जानते हैं कि 5G इंटरनेट की स्पीड काफी ज्यादा तेज होती है।
इसके साथ ही इससे जुड़े काफी ज्यादा ख्याल हमारे दिमाग में आते रहते हैं जो सबसे बड़ा सवाल हम सभी के दिमाग में आता है, वह यह है कि G नेटवर्क शरीर में कैंसर या ब्रेन ट्यूमर का कारण बन सकता है। आपको बता दें कि 5G नेटवर्क हाई फ्रीक्वेंसी का उपयोग करता है, जिससे इसकी स्पीड बढ़ती है।
5G किस तरह देता है इतनी तेज़ स्पीड

हम सभी यह तो अच्छे से जानते हैं कि 5G इंटरनेट की स्पीड पिछली सारी जनरेशन से कई गुना तेज है। 5G कुछ नई बैंडविथ का उपयोग करके इतनी तेज गति प्रदान कर रहा है।
जहाँ 4जी 2.7 GHz का इस्तेमाल करते थे, 5G बढ़कर 100 GHz फ्रीक्वेंसी तक पहुंच सकता है। इसके अलावा, 5G कई नई टेक्नोलॉजी और अच्छी बैंडविथ का उपयोग करके इतनी तेज गति प्रदान कर सकता है।
क्या 5G से कैंसर होता है?

लोगों में ऐसी अफवाह फैली है कि 5G नेटवर्क शरीर में कैंसर या ब्रेन ट्यूमर का कारण बन सकता है। आपको बता दें कि 5G नेटवर्क हाई फ्रीक्वेंसी का उपयोग करता है, जिससे इसकी स्पीड बढ़ती है।
राष्ट्रीय कैंसर संस्थान की माने तो फोन या 5G के कारण हमें किसी प्रकार के कैंसर बनने का खतरा नहीं है। शोधकर्ताओं ने पाया कि फोन के इस्तेमाल से सेंट्रल नर्वस सिस्टम में ट्यूमर बनने जैसे कोई लक्षण अब तक देखे नहीं गए।
Cellular Operators Association of India का कहना है कि 5G और कैंसर के बारे में जो दावे किए जा रहे हैं, वे झूठ हैं। अब तक मिली जानकारी के आधार पर, 5G नेटवर्क सुरक्षित है।
क्या 5G से DNA को होता है नुकसान?

अगर 5G के इस्तेमाल से हमारे DNA में किसी नुकसान की संभावना की बात करे तो 5G तकनीक 100 GHz की फ्रीक्वेंसी का उपयोग करती है। वही 2G, 3G, और 4G 0.7 और 2.7 GHz के बीच की फ्रीक्वेंसी पर काम करते हैं। ये चारों ही फ्रीक्वेंसी रेंज इतनी ज्यादा मजबूत नहीं हैं कि हमारे डीएनए को नुकसान पहुंचा सके।
WHO का कहना है कि 5G में उपयोग की जाने वाली फ्रीक्वेंसी पर फिलहाल बहुत कम रिसर्च की गई है। 5G तकनीक से स्वास्थ्य पर क्या असर होता है, इस बारे में लगातार रिसर्च की जा रही है, लेकिन फिलहाल यह कहा जा सकता है कि 5G तकनीक से जुड़े कोई स्वास्थ्य जोखिम नहीं है।
सुरक्षित इस्तेमाल के लिए सुझाव:
- फोन का रेडिएशन जांचें: मोबाइल से *#07# डायल करें, स्क्रीन पर तुरंत रेडिएशन संबंधी जानकारी आ जाएगी, इसमें आपको सार वैल्यू दिखाई देगी, किसी भी स्मार्टफोन या स्मार्ट डिवाइस का रेडिएशन 1.6 Watt per kilogram ( W/kg ) से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
- स्वयं को बचावित करें: नेटवर्क कम होने या फिर बैटरी कम होने पर किसी को फोन ना करें। इस दौरान रेडिएशन ज्यादा हो सकता है। फोन को चार्ज करते समय कभी बात ना करें, चार्जिंग के दौरान भी मोबाइल रेडिएशन ज्यादा बढ़ जाता है।